Friday, September 04, 2009

Choti si luv story...


छोटा से बचपन में
अक्सर खो सा जाया करता हु..
कभी तालावों पे, तो कभी पग्दंदियो पे..
तो कभी बरगद के शाखाओ पे..
सो सा जाया करता हु...
............
कभी दादी के किस्से
कुछ कहानियों के हिस्से
सुबह सबेरो के सैर सपाटे
कभी मम्मी के दो चार झापते
उन्ही आवाजो को दिल से, लगाये रहता हु
इतना बेचारा निर्दोष सा बचपन हैं मेरा
इसलिए उसे आज कल के निगाहों से, बचाए रखता हु
....................
इन्ही से प्यार करता हु
इन्ही को याद करता हु
यही हैं मेरी, छोटी सी लव स्टोरी
इसी को छुपा के, रखता हु

Wednesday, July 08, 2009

इन dino


मंजिलो में चलते चलते
कुछ राह बदल जातें हैं
शुरुआत कहाँ होती है
ये ख्तम कहीं होते है
....
अक्सर राहो में चलते चलते
हमराह बदल जातें है
एक मोड़ में जो मिलते है
एक मोड़ में खो जातें हैं
...
पल दो पल में, अक्सर
तकदीर बदल जाती हैं
दिल में कोई रहता है
पर तस्वीर बदल जाती है
....
हर वक्त बदलते किस्सों में
किरदार बदल जाते हैं
ज़मीं वही होती है
पहरेदार बदल जाते हैं

Tuesday, June 30, 2009

रात दीवानी...


रात दीवानी...
....................................

होश में आए नही ये रात
नही आए किसी के लव पे, सुबह की बात
ये बात अधूरी रह न जाए
ये रात अधूरी रह न जाए
..

वक्त को भी पिला दो साथिया
ये रात को लम्बी, हो जाने दो
खत्तम न हो अफ़साने दिल के
हर बात को लम्बी हो जाने दो
....
अभी तो शुरुर छाया है थोड़ा
थोड़ा और पिला दो प्यालो में
आया जाए हर बात लवो पे
न रह जाए कुछ आज, खयालो में
...
छा जाए नशा हवाओं में
हर बूंद को यहाँ, पिलाने दो
हाथो से हाथ बहुत मिलते है
दिल से दिल को आज, मिलाने दो
....
..

Thursday, June 25, 2009

Pyar Ki Kahani...




अक्सर आती हु तुमसे मिलने

तुम अक्सर मुझे रख़ नही पाते

बिजी हो इतने , न जाने कितने

इस हीरे को अक्सर तुम, परख नही पाते

...

गैरो की आँखों में धुंद्ते रहते हो अक्सर

अपने ही आँखों में, देख नही पाते हो

ऐसा भी क्या रंग है मेरा की

बेरंग इस दुनिया में भी , मुझे धुंद्ते रह जाते हो ......

बंद कर लेते हो मुट्ठियों में,
छोर कर अकेले , हर जगह घूमते हो
मिल गई है एक बार , कहा छोढ़ जायेगी ये

न जाने क्यो अक्सर, यह सोचते हो...
...
वक्त होता हर हर शक्स के लिए

पर मेरे लिए वक्त निकालना मुमकिन नही होता है

चली जाती हु, रूठ कर फिर भी

तुम्हे ख़बर , एक जामने के बाद होता है
..

Wednesday, June 17, 2009

Love Aaj Kal...


लव आज कल...


दिल के दरवाजो पे दस्तक देने से पहले
दिल जैसे घरो में बस जाना कहते है
उफ़ आज कल का इश्क दीवाने
हर चीज़ शोर्ट कट में पाना चाहते है
....
मोहब्बत में उन्हें आजमाने से पहले
मोहब्बत में मर मिट जाना चाहते है
दो चार कदम चले भी नही है
और मंजिले की राहे मिलाना चाहते है..
.................
प्यार में दो चार
मौसम बिताने से पहले
सात जन्मो के किस्से सुनाना चाहते है
न जाने क्यों आज कल ये दीवाने
हवाओं में महल, बनाना चाहते है
..
इश्क नाज़ुक कड़ी है,
नादा ये आशिक कहा जानते है
सीखा है इन्होने हासिल, लड़ के करना
ये मोहब्बत की भाषा नही जानते है
....

Monday, June 15, 2009

Mai Bachpan hu..




आजाद ,उन्मुक्त
निर्भय , निडर हु मै
बचपन हु मै
..
छोर के चले आए हो दूर इतने
पीछे रह गए है याद कितने
उन यादो की कुछ पुरानी कडिया हु मै
तुम्हारा, बचपन हु मै
..
हजारो नकाबो के पीछे छुपा
एक चेहरा हु तुम्हारा
भूल न जाओ ख़ुद को इन अंजान गलियों में
एक पहरा हु तुम्हारा
बिना रुके जो चलते रहते थे कदम
उन कदमो की आगाज हु मैं
तुम्हारी आवाज हु मैं
बचपन हु मैं..
..
नही तोड़ पाओगे ख़ुद से
वो डोर हु मैं
हर वक्त जब चाहोगे
तुम्हारी ओर हु मैं
अमिट रिस्तो की शुरुआत हु मैं
जो सपने हो रहे है आज पुरे
उन सपनो की मधुर आकर हु मैं
मगन हु तुम्हारा आज को कल से जोड़ने में
तुम्हारे दिल में जम गई दीवारों को तोड़ने में
तुम्हे आइना दिखने में हर वक्त विलीन हु मैं
बचपन हु मैं..
..

Dhime se...



धीमे से , धीमे से

अहिस्ता प्यार होने लगा है..

खुल गया है आसमा,

रंगीन, ये जहा होने लगा है...

धीमे से अहिस्ता,

प्यार होने लगा है.

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गूंजता है ये मन

जाने क्या,पूछता है ये मन

गुनगुना रही है बादिया पर,

शांत..खामोश सा मन होने लगा है...

धीमे धीमे से,

अहिस्ता प्यार होने लगा है.

.................................................


Friday, June 12, 2009

Aimless...

कभी दिशा
तो कभी
दिशाहीन हु मैं...
न ही शुरुआत,
न ही अंत,
बेखबर ,
रौंदी सी ज़मीं हु मैं...
आसमा हु कभी
चादर की तरह लपेटे
बदलो सी कमीज़ भी हु
आई हवाए जिस दिशा से
उस दिशा से लपटी ताबीज भी हु
कभी दिशा तो कभी दिशाहीन भी हु...
नैदियो की धार हु
नावों के मजधार भी हु
गूंजती नदियों की किलकार भी हु
गिर के बिखर जाते समुन्दर पे
गूंजती तट की मधुर ललकार भी हु

Tuesday, February 17, 2009

My Gajhini...

I wounder why i loved Gajhini so much. I am no fan of real action movies,they make me feel more weaker. after all i am not superhero anyway. Yes, i am amir fan, i wanted to see his dedication to be in shape for the movie. I like him for what he is , i guess he is what he wants to be. Not many people are like him. Coming back to the movie Gajhini , i hated him(The char...) ...i am sure everybody did in the multiplex. Asin(I don't remember her screen name) was killed by him for doing something i always wanted to do, but i didn't. I always fear some Gajhinis around. I don't want to get in trouble. She did, I was happy for her , she was my hero...thats why i hated Gajhini , who killed my hero. One of the favourite scene of the movie is possible the most simplest one, where Asin gives that money to Amir, hmmmmm....do i sound sentimental fool, may be ...but i liked what happened after that. I liked Amir reaction, I liked his response...its like..how can someone do something so great like this. How many times i reacted in that way when my mom, dad , gf, wife did the same for me .....i took them for granted. I though they were there to give...give ...and keep giving. I didn't get astonished when my dad gave my Engineering fee and delayed purchasing his car...amir(sanjay saxsena...i now remembered his name)got ...it taught me respect all that i have got , irrespective of who gave... paraye ya Aapne...yes i remember Gajhini, for all those moments.

Friday, February 06, 2009

Becoming Young…

Three weeks after I walked from my old Company…I haven’t quite been able to walk out. Turning from a mentor to a mentee, a boss to a team member, a student from a teacher has been a hell of transition, guess what, it is just the beginning…
I feel like a star of Ranji player who comes to a play at national arena. In the quest of making a mark to at new place, I am quite in search of old symbols that can help me establish, make a ground or simply give me a hand. The only thing known to me here is the laptop I have, dell latitude D630. With all my love, whenever I use the laptop I feel blessed; my finger knows the keypads, the only friends for time being.
Sometime I argue myself, what it takes to leave the most comfortable seat and start chasing your next dream, like after scoring a century , why someone would think of another 100. I guess I am like a crow who finds a piece of food keeps it and goes up searching from another.
Its Friday today and i am waiting endlessly for the clock to pass 6:00 as Tejas (my kid) waits for my arrival , I know Mondays will keep coming reminding me that journey of life never ends… “kuyki picture abhi baki hai mere dost”
End.

नक़ाब