Aksar khayale chali jaati hai aagle mod pe
Jab hum tum saath nahi honge
Gir parenge raaho ke thokro se
To uttane ke liye tere haath nahi honge
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Nikal aayenge aansu aanko se
Jab teri yaade aayengi
Kon pochega in aasuo ko
Kon mujhe phir se hasayengi
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Ghabra jaate hai, ki tum bin
Kaise akele rah payenge
Begano ki basti to hogi
Usme bhi tanha rah jaayenge
...................
Kaise phir se has paayenge
Kaise tumhe bhula paayenge
Dil me jo tasvir basi hai
Kaise use jala paayenge
........................
Kash kahi aisa kar paate
Chalte lamho ko kaabu kar paate
Kash kahi aaisa ho jaata
Aur hum tum saath rah paate.
.........................
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Sunday, December 26, 2004
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