तेरी बेवफाई ने .... जीना सिखा दिया
आँखों से गिरते नहीं आसू
तुमने दिए हैं इतने सितम
की............
वक़्त ने, आंशुओ को पीना सिखा दिया....
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उम्मीद ना थी जितनी
उतने रंग तुमने बदल डाले हैं
सबने प्यार को खुदा माना हैं
तुमने तो इसके मायने ही बदल डाले हैं .
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भरे नहीं है , ज़ख्म दिल के
हम मरहम लगाना भी नहीं चाहते
अच्छा हैं......
तेरे सितम हरे ही रहें
हम उन्हें.....
भुलाना भी नहीं चाहते
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जो कुसूर हुआ है इस दिल से
उसके निशा शायद दिल, मिटा नहीं पायेगा
इस कदर बेवफाई जो की है आपने
दीवाना उसे कभी , भुला ना पायेगा
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शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Saturday, December 25, 2004
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आज़ाद
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