मैं कौन हूँ
कोई बता दे मुझे
क्या करे की मिले खुशी
कोई समझा दे मुझे |
देखा जिस किसी को
सब सवाल ही लगे
परमात्मा , आत्मा
सब ख्याल ही लगे ||
आँखे मूंद चलू
या , खुद के रस्ते बनाऊ
या, फिर दुसरो के लिए
खुद ही, एक रास्ता बन जाऊ |
ज़न्दगी कितनी सकरी सी है
दो हाथ कुछ खास खुले नहीं
आस पास की दीवारों ने , ज़कड़ दिया
पंख खोल , कभी आसमानों में उड़े नहीं ||
ज़ब खोले नहीं सब राज़ पहेलियो के
तो सब प्रशनो की गुथी कहा से लाऊ
कुंजी तो बाट, मैं भी सकता हूँ
पर खुल जाए, वो ताले कैसे बनाऊ |
बहूत पढ़ा हैं पन्नो में , किस्से ज़िन्दगी के
उन्हें काट के अपनी कस्ती कैसे बनाऊ
बहूत करीब हु मैं अपनी कहानी से
मैं तो मैं ही हु ,
भला मैं, उन पन्नो सा कैसे बन जाऊ ||
(Picture used from http://www.rogermurrell.com)
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
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