ए चित्रगुप्त
सुना है एक लेखनी है आपके पास
जो रखती है हर किसी का हिसाब ||
मेरे कहानियों में कुछ पन्ने , मटमऐले से है
गर्द और दागदार कुछ छन , अकेले से हैं ||
दे सकेगो वे लेखनी , मुझे एक दिन के लिए
मुझे कुछ किस्सों के किरदार मिटाने हैं
ज़िन्दगी के गहरइयो में जा कर
कई दिलो के हिसाब चुकाने हैं ||
महान इंद्र
सुना है बूंदों का सागर है आपके हाथो में
हर तपती ज़मी की , प्यास बुझाते हो
बंजर , पर्वत , नदी , झरने
सबको बस आप ही बनाते हो ||
क्या दे सकोगो कुछ बूंदों मेरे भी हाथो में.....
मेरे बागो में में भी, सूखे कुछ दरख़्त हैं
बहूत कमजोर से खड़े हैं एकटक आँखे ले के
बाहर से दिखते , बहुत ही शख्त हैं ||
कुछ बुँदे शायद बदल दे मेरे बागो को
शायद नए पत्ते निकल आये , बूंदों को देखकर
पतझड़ जाए ना जाए मेरे बागो से गम नहीं
शायद खुशिया आ जाए , पल भर का सावन सोच कर ||
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Monday, May 24, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आज़ाद
नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...
-
I am inclined to post this as i complete around 100 + hours of Vipassana & Anapana meditation . I have also completed 10 days of retre...
-
किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
No comments:
Post a Comment
कुछ कहिये