ए चित्रगुप्त
सुना है एक लेखनी है आपके पास
जो रखती है हर किसी का हिसाब ||
मेरे कहानियों में कुछ पन्ने , मटमऐले से है
गर्द और दागदार कुछ छन , अकेले से हैं ||
दे सकेगो वे लेखनी , मुझे एक दिन के लिए
मुझे कुछ किस्सों के किरदार मिटाने हैं
ज़िन्दगी के गहरइयो में जा कर
कई दिलो के हिसाब चुकाने हैं ||
महान इंद्र
सुना है बूंदों का सागर है आपके हाथो में
हर तपती ज़मी की , प्यास बुझाते हो
बंजर , पर्वत , नदी , झरने
सबको बस आप ही बनाते हो ||
क्या दे सकोगो कुछ बूंदों मेरे भी हाथो में.....
मेरे बागो में में भी, सूखे कुछ दरख़्त हैं
बहूत कमजोर से खड़े हैं एकटक आँखे ले के
बाहर से दिखते , बहुत ही शख्त हैं ||
कुछ बुँदे शायद बदल दे मेरे बागो को
शायद नए पत्ते निकल आये , बूंदों को देखकर
पतझड़ जाए ना जाए मेरे बागो से गम नहीं
शायद खुशिया आ जाए , पल भर का सावन सोच कर ||
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