Thursday, May 06, 2010

Kuch Naya ( Life)

कुछ अलग लिखना चाहता हु
ज़िन्दगी , रस्ते ,प्यार से अलग
कुछ और आगे बदना चाहता हूँ
...
साथ दे अगर शब्दों के पर
पंख लगा के और उचा उड़ना चाहता हु
मन के बंधन तोड़ कर
कुछ और कहानियों से जुड़ना चाहता हु
...
लिखना चाहता हु कुछ अलग
ऐसी कहनिया जिसे  कोई कवि  ना बना  पाया हो
कुछ ऐसे किस्से , एकदम नए से
जो आज तक  पन्नो पे , कोई  गड ना पाया हो
....
तोडना होगा , कुछ जंजीरे उंगलियों के
दिल के गहरयियो के खंगालना होगा
बन के बैठे  हैं जो चेहरा , चेहरे के ऊपर
कुछ पुराने नक़ाबो को उतारना होगा
...
अनकहे कुछ खवाब बेताब हैं नज़रे मिलाने को
उन्हें कुछ  कलमो का सहारा चहिये
उभर आयेंगे ज़मी से हर किनारा तोड़ कर
बस एक फिरदौस  कवि का , इशारा चाहिए

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