Sunday, June 27, 2010

Story of an IT Professional!!!

मैं देखती हूँ  दुनिया को 
अपने कंप्यूटर के अंदर के windows से |
की अपने इस इमारत में 
बाहर देखने के लिए खिड़किया नहीं ||
मिलती हूँ अपने परिवार और दोस्तों से 
फेसबुक , ऑरकुट और लिंक्ड इन पे |
की मेरी ब्यस्त ज़िन्दगी में 
घर जाने आने का वक़्त नहीं ||
बनती रहती  हूँ  लॉजिक सारी दुनिया के लिए 
अपनी ज़िन्दगी कभी ऑन टाइम चलती नहीं |
पंक्चुअल हूँ अपने हर क्लाएंट मीटिंग में 
पर समय पर घर कभी, पहुचती नहीं ||
बखूवी manage करती  हूँ  बड़ी टीम को 
पर घर का मैनेजमेंट बिगड़ सा गया हैं| 
Project तो टाइम में चल रहा है 
पर घर का मौसम उजड़ सा गया है ||
सात समुंदर दूर , हर कोई जानता है मुझे 
पर घर का पडोसी पहचानता नहीं |
प्रोजेक्ट पे सब अंडर कण्ट्रोल है 
घर पे टिंकू कोई बात मानता नहीं ||  
पिछले दिनों घर के लैपटॉप पे 
ड्राफ्ट इ मेल मिला था 
टिंकू ने God@जीमेल.कॉम पे एक ख़त लिखा था 
कहता हैं , मम्मी रोज घर क्यों नहीं आती  |
सोनू के मम्मी की तरह , कहानिया क्यों नहीं सुनाती||  
पढते पढते मै आसुओ को रोक ना सकी  
जब कर ना सकी गिल्ट पे काबू 
तो देने God को clarification , 
दो कदम आगे बढ़ी|   
पर इन इमारतों से बाहर झाकने के लिए 
फिर से,
कोई खिडकिया नहीं खुली ||

3 comments:

  1. Anonymous4:07 AM

    gud one :) -lalitha

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  2. बढ़िया घास है आपके तबेले की!
    घोड़े भी समझदार ही होंगे!!!!

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  3. Anonymous10:47 PM

    maarmik ahsaas - bahut sunder

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