(नीचे लिखे पोएम को गाने की तरह पढ़िए , ये एक इंतज़ार करती गाव की औरत की बारे में है )
खाली मनवा करे है धक् धक्
कोसे है दिल को , करे हैं बक बक ....खाली मनवा ||
गए हैं दूर , पिया हमसे ,
भाए ना कुछ कुछ , पिया तबसे
जुगुनुवा से करे हैं बातें
आधी रतिया काटे हैं तन को ....खाली मनवा ||
नदिया छोर , का करे है कस्ती ?
एक पग ना चले है, कस्ती
करे हैं डगमग , पउवा ना सम्हले
कैसे भर लाऊ कुए से पानी .... खाली मनवा ||
भरा हैं आंखन , करे हाउ डब डब
पढ़ा ना जाए , मनवा भर आये
कैसे खोलू चिठिया तोरा
हथिया मोरा पत्थर हो जाये ....खाली मनवा||
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
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कभी देख लो एक नज़र इधर भी की रौशनी का इंतज़ार इधर भी हैं मुस्कुरा के कह दो बातें चार की कोई बेक़रार इधर भी हैं || समय बदलता रहता हैं हर...
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कभी मैं जो रास्ता बनु तुम मेरी मंजिल, बन जाना कभी मैं तुममे और तुम मुझमे इस तरह सिमट जाना कभी || की जब बनु मैं सोच तुम अहसास बन जाना ...
देसी सुगंध की तो बात ही कुछ और है - बहुत खूब
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