ज्ञान मिला तो, ज्ञान बन गए
बाजार सी थी जिंदगी ,
कुछ सामान मिला
तो हम, सामान बन गए ।।
रहने लगे कहीं ,
तो मकान बन गए
रिश्ते मिले तो हम
पहचान बन गए ।।
गुजर गई इस तरह ही जिंदगी
और हम, सुबह से शाम बन गए..
कोन थे वो, जो राम बन गए ?
की बाकी तो सब झूठी पहचान लिए
शमशान बन गए ।।
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