कुआं, तू बुझा देता है सबकी प्यास
फिर तेरी प्यास कौन बुझाता है?
सबको घर ले जाने वाले, ओ रास्ते
तुझे मंजिल कौन पहुंचता है ?
जला कर खुद को, रौशन करने वाले
ए आग , तुझे अंधेरे से कौन बचाता है ?
सब को देने वाले , परबरदिगार
क्या तुम्हे भी कोई खुशियां दे जाता है?
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Thursday, October 09, 2025
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आज़ाद
नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...
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I am inclined to post this as i complete around 100 + hours of Vipassana & Anapana meditation . I have also completed 10 days of retre...
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