Friday, February 17, 2012

प्यार का गम

कुछ मिले, तन्हाई के सिवा ,
ऐसी किस्मत नहीं लगती हैं
तक़दीर लिखी है जिसने मेरी ,
शायद उससे अब मेरी , नहीं बनती हैं
...
आधे  अधूरे ख्वाबो के दिल पे  ,
टुकड़े सारे फैले मिलते  हैं
उम्मीदों के चेहरों पे अब तो ,
कपडे भी अब, मैले  दिखते हैं ।।
 .....

खाली खाली ये दुनिया , तुम बिन
कहा अब अच्छी लगती है हमको
रख लो एक कोने में दिल के
नहीं अगर  है , शिकवा तुमको ।।
......

हर बात तुम्हे कह पाना मुश्किल हैं ,
बातो को तुमसे  , छुपाना मुश्किल हैं
हर पल कटते है , सालो के जैसे ,
अब सालो तुम बिन , रह पाना मुश्किल हैं ।।

3 comments:

  1. बेहतर रचना .
    आपकी कलम जब चलती है तो फिर बाँध लेती हैं

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  2. तक़दीर लिखी है जिसने मेरी ,
    शायद उससे अब मेरी , नहीं बनती हैं
    बहुत सुंदर प्रस्तुति ....मन पर ठहर गयी ..एक सोच दे गयी ....
    आभार.

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  3. हर बात तुम्हे कह पाना मुश्किल हैं ,
    बातो को तुमसे , छुपाना मुश्किल हैं
    हर पल कटते है , सालो के जैसे ,
    अब सालो तुम बिन , रह पाना मुश्किल हैं ।।
    .....प्यार में डूबती उतरती दिल से लिखी दास्ताँ ......

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