[ कवि के शब्द : ये कविता उस प्यार उस रंग के बारे में हैं जो हमे नहीं दिखता । हर दिखने वाले प्यार के पीछे एक पूरक प्यार होता है जो मौन रहता हैं । सोचिये वो अंधेरो के बारे में जो चाँद के साथ रहते हैं , अगर वो अँधेरे न होते तो चाँद का वजूद क्या हैं , वैसे ही कुछ प्यार के बारे में ये कविता प्रकाश डालती हैं ]
कोई बताये मुझको ये तो
ये बला , प्यार क्या हैं
जो झुक गया हैं आसमा, तो
ज़मी का, इंतज़ार क्या हैं
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,
किसी के वास्ते जो, खड़े हैं
आते जाते रास्तो में
जो रुक गया हैं वो मुसाफिर, तो
खुले किवाड़, घर के क्या हैं
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,
बदल रहा हैं कोई मौसम
हवा कही बदल रही हैं
जो जल रहा चिराग वो हैं, तो
खड़ा अँधेरा, साथ क्या है ।।
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,
दिखा रहा है कोई रिश्ता
कोई अनकहे निभा रहा है
जिसे बुला सके सही वो
तो, रिश्ता अनाम क्या हैं ।।
लला लला ला ला लाला , लला लला ला ला लाला
जुजू जुजू जू जू जुजू , जुजू जुजू जू जू जुजू ,
दिखा रहा है कोई रिश्ता
ReplyDeleteकोई अनकहे निभा रहा है
जिसे बुला सके सही वो
तो, रिश्ता अनाम क्या हैं ।।
बहुत खूब
wah wah Sirji!!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया प्यार भरा तराना ...
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