कवि के शब्द : ये कविता के माध्यम से कवि आज कल के रिश्तों पे एक नज़र डालता है । थके हुए इन रिश्तों की दवा कुछ और है , और लोग इलाज कुछ और करते हैं ।।
वक़्त चलता रहा चाल अपनी
और लोग अपनी राहें बदलते रहे
होती गयी मेरी ज़िन्दगी खाली सी
हम गड्ढो को भरने में लगे रहे ।।
अब शहरो में बस गए हैं हम
की तन्हाई की आदत जो लग गई हैं
लाखो चेहरों में छुप कर सुकून मिलता है ,
भागते इन शहरो में , मेरी ज़िन्दगी
कहीं तो रुक गयी है ।।
सुराख़ इतने थे दिल में
प्यार कतरा कतरा बहते रहे
सूखता रहा समुंदर दिल का
हम झरना कही खोजते रहे ||
दिल बन गया मरासिम का कब्रगाह
और हम कहीं शमशानों में अपनों को ढूढते रहे
जलता रहा हर रिश्ता धू धू कर
हम बदलो से पानी को पूंछते रहे ।।
वक़्त चलता रहा चाल अपनी
और लोग अपनी राहें बदलते रहे
होती गयी मेरी ज़िन्दगी खाली सी
हम गड्ढो को भरने में लगे रहे ।।
अब शहरो में बस गए हैं हम
की तन्हाई की आदत जो लग गई हैं
लाखो चेहरों में छुप कर सुकून मिलता है ,
भागते इन शहरो में , मेरी ज़िन्दगी
कहीं तो रुक गयी है ।।
अनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteअनुपम भाव संयोजन के साथ बेहतरीन अभिव्यक्ति ।बहुत बेहतरीन....
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
कुछ कहने का साहस नहीं .....बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteपिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...
ReplyDelete....... रचना के लिए बधाई स्वीकारें.