Wild flowing and deserving
Life had it all when i started and went on
until a turn came and told me to stay
I was astonished,i turned gray
When it happened,i never planned
Small was me and so the play
Never thought i will crumble
like this someday
I looked up, i needed a hand
So i wished a ray up from the sky
Only to know that my prayers were banned
I broke so much,almost impossible to stand
I took up the bet
I would find the way
I was not the one who would remain gray
I charged up, i had to survive
It was time for
Coming back to life.
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Tuesday, February 15, 2005
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