कभी कभी
कुछ कहना कितना मुश्किल होता है
शब्दों की गांठ बंधना
आसान कहाँ ||
इन शब्दों में
पिछलन गजब की है
इनके उलझनों को सुलझाना
आसान कहाँ ||
अच्छा है अहसास
मूक ही रहें
इन्हें शब्दों की कमीज पहनना
आसान कहाँ ||
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...
shabdon ki ganth bandhna aasaan kahan
ReplyDeleteachchhi prastuti
... shubh diwaali !!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर
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