सब देखते हैं अंधेरे को
इस अंधेरो में रौशनी कोई क्यों देखता नहीं
हथियार खून रक्त की चर्चा हर जगह है
पाल रहें पेड़ो की माली को कोई पूछता नहीं ||
भ्रष्ट नेताओ की बात सब कोई करते हैं
रोज लड़ रहें समाजवादियो को कोई सोचता नहीं
मिल रही है हर बेकारो को जगह हर अखबारों में
अन्ना हजारे , उनिकृष्णन को कोई पूछता नहीं ||
आज भी इमानदारी कायम है
नहीं बिश्वास तो इन पक्तियों को पढने वाले दिल से पूछ लो
जो ना होती सच्चाई आज भी दिल में
तो कब के अँधेरे खा जाते हर सुबह को ||
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Thursday, August 19, 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आज़ाद
नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...
-
I am inclined to post this as i complete around 100 + hours of Vipassana & Anapana meditation . I have also completed 10 days of retre...
-
किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
सटीक चिंतन ...शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने के लिए
ReplyDeletebilkul sahi kha apne ..aaj bhi imandari hai yaha per!
ReplyDeletesir aap apka apna blog ko bhi padhiye or mera margdarshan kijye!
thanks
bilkul sahi kha apne ..aaj bhi imandari hai yaha per!
ReplyDeletesir aap apka apna blog ko bhi padhiye or mera margdarshan kijye!
thanks