दे दो अपने हाथो को मेरे हाथो में
साथ चलेंगे हौले से चान्दिनी रातो में
कसम से बहुत सम्हाला था दिल को
पर प्यार सा होने लगा है बातो बातो में
.....
सुनहरी शाम हैं और हलकी हवाए हैं
घने जुल्फों को तेरी आँखों पे ले आये हैं
हटा लो उन जुल्फों को आपने आँखों से
घने बदलो के पीछे , चाँद अभी भी शर्माए हैं
...............
तेरे होटो को छु कर , ये हवा जो मेरे पास आई हैं
शर्म से लाल , अभी भी थोड़ी शरमाई हैं
लगता हैं तुम्हारे सुर्ख होटो की शबनम
इसी गुस्ताख ने चुरायी हैं
......
आओ बैठो मेरे पास ,
अपनी साँसों को मेरे नजरो से छु लेने तो दे
बेताब हैं ये आँखे , तुम्हे देख कर
तेरे आँखों के इन्हें रूबरू होने तो दो
.............
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
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