Sunday, April 25, 2010

Ek safar ki kahani (Life)

गुजर जाती हैं ज़िन्दगी
और हम, राहे दूंदते रह जाते हैं
मंजिले मालूम नहीं पर
हर मोड़ पर पता पूंछते रह जातें हैं
...
कभी सीधी तो कभी उलटी
जो भी राह मिली , चलते रहते हैं
जो मिला वही हमसफ़र
अगली राह पे , नए लोग मिलते रहते हैं
...

छुपा लिया कभी गम के निशा

तो कभी खुशियों के नकाब ओढ़  कर
चेहरे को बदलना अच्छा लगता हैं
सच वही हैं, जो छिपा राहे
आज कल हर झूट ही, सच्चा लगता हैं
.....
मालूम हैं, कोई नहीं तो ये हवाए तो साथ देगी
काफिले गुजर जायेंगे यु ही,
मिटने को उसके निशा , हवाए ही साथ होगी
बड़ी बेदर्द इन हवाओ की कहानी हैं
साथ हो कर भी साथ होती नहीं
थम जाती हैं , फिर भी इनकी रात होती नहीं
आँखे खोल कर हर चेहरा  पढती हैं
खुद क्या है , कोई राज खोलती नहीं
मंजिले इनकी भी नहीं होती
कभी इस दिशा तो कभी , उस दिशा
कभी कभी सोचता हु
कौन  सी बाला हैं, क्यों थकती नहीं
रूकती नहीं , किसी का राह तकती नहीं
साथ रहती हैं , फिर भी साथ रहती नहीं
.......
फिर सोचता हु
ये साथ के अर्थ क्या हैं
साथ रहने के, सुना हैं बहुत अफ़साने हैं
साथ चलने के , शर्त क्या हैं
कोई कहता हैं , प्यार में शर्त नहीं होती
कभी कभी प्यार की राहे अजब होती हैं
हर शायर कहते हैं, प्यार की कोई तर्क नहीं होती
फिट भी सब प्यार को अपनाना चाहते हैं
मर के भी , प्यार को पाना चाहते हैं
क्या बला हैं ये प्यार ,
हर मोड़ पे बदल जाते हैं
जो मिला हमसफ़र मुस्कुरा कर
हम उसी से प्यार कर जाते हैं
.........
प्यार करना भी तो इतना असा नहीं
हर किसी को जयादा कुछ आता नहीं
सुना हैं आजकल प्यार के अलग मायने होते हैं
प्यार को हर कोई आजकल पाता नहीं
......
पाते तो हम कभी हवाओ को भी नहीं
प्यार की तरह हर राह में साथ रहती हैं
खुद कुछ भी साफ़ कहती नहीं
चहरे के पास, कानो में
बस बुदबुदाती रहती हैं
.........
साफ़ कहना , लोगो की फितरत नहीं
साफ़ सुनना लोगो की आदत नहीं
मस्फुक हैं इतने , बस मज़िलो को धुंडने में
किसी को उनकी राहे पूछने को इजाजत नहीं
.........
सुना हैं , इसलिए लोग राहे दुंदते रह जाते हैं
हवाओं को बंद कर नहीं पाते मुठियो में
प्यार को शर्तो में बंधते रह जाते हैं
मुसाफिर ही नाम होता हैं उनका
काफिलो में गूम ,
बस निशा कदमो के ,
छोर जाते हैं
फिर ये पागल हवाए , आती हैं न जाने कहा से
मिटा देती है हर कदम
शुरू हो फिर एक नया सफ़र ,
फिर बने एक कहानी , वहा से
..... to be continued ...
 

No comments:

Post a Comment

कुछ कहिये

आज़ाद

नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी  इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख  तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...