Aye waqt kuch saath de mera
Hosh aane to de…phir challenge saath
Zi to lu kuch pal hi mile hai
Phir kar lenge hum tumse bhi baat
...
Aye lav, muskuraa to lee abhi
Ki phir mauka shayad mile na mile
Phir sochenge aage ho so so
Ki phir ye hasi in lavo pe khile na khile
…
Aye hawa ruk jaa kuch pal auur
Ki unki awaj ko mere pass hi rakh
Bas jaaye mere dil me phir chale jana
Ki phir tumhe wo ahsaas mile na mile
…
Aye shabad,bich ja panno pe rango ki tarah
Ki phir na jaane hum mile na mile
Satrangi syahii se likh raha hu aaj
Phir khusioo ke geet,hum likhe na likhe
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
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