उन्हें जन्नत दी है तोफे में
हमे तो दोजख में भी ठिकाना ना मिला
हर दुआ और दवा उनको मिली
हमे तो दर्द बताने का भी , बहाना ना मिला ||
की परदे में हम हैं
या उन्होंने चेहरा छुपा लिया
नज़रो से मिलती नज़र नहीं आज कल , तो
हमे भुलाने का बहाना बना लिया ||
बिछी हर बिसात उनके लिए
हमे तो जंगे जहद से ही निकाल डाला
हर फतह में नामो –शोहरत मिली उनको
हमरे खून को तो उन्होंने , पानी बना डाला ||
इस अंधेर नगरी में
अंधो का बोलबाला है
शोर माचाने बाले जिंदा रहते है यहाँ
आँख वालो का मुह काला है ||
अच्छी रचना ..थोड़ा वर्तनी त्रुटि है शायद टाइपिंग की गल्ती से ..
ReplyDeleteधन्यबाद !! हिंदी में लिखना कम हो गया है आज कल इसलिए कुछ गलतिया कर जाता हूँ
ReplyDeleteहर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया..
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है : Blind Devotion
राहुल जी आपकी EK PURANI रचना यहाँ पर पोस्ट की है मैंने
ReplyDeletehttp://www.sahityapremisangh.com/2011/06/aimless.html
इस अंधेर नगरी में
ReplyDeleteअंधो का बोलबाला है
शोर माचाने बाले जिंदा रहते है यहाँ
आँख वालो का मुह काला है ||
sundar prastuti...samaj ki asal tasveer..