Friday, February 18, 2011

देखो न क्या हुआ

कह दू कुछ तुमसे
या चुप रहूँ
बोलो न मुझ से
मै क्या करू
देखो न क्या हुआ
प्यार तो नहीं , प्यार तो नहीं ||२
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घूमता रहता हूँ बारिसो में
ठंड लगती नहीं है हवाए
इस गली उस गली
बेबजाह ही
ढूंढ़ता हूँ तुम्हे आज कल मै
खुद से ही, नज़रे बचाए...
प्यार तो नहीं , प्यार तो नहीं|| २
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आया है मौसम देखो दिलो का
प्यार कर ले मुझे टूट कर तुम
फिर चली जाएँगी ये बहारे
यादो के बस रहेंगे सहारे
फिट ढूंढेगे हम तुमको कहा रे...
प्यार तो नहीं , प्यार तो नहीं ||२
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हर कतरा मेरे पागल दिल का
बस तेरा ही कहा मानता है
कुछ सुनता नहीं ये मेरा तो
अब तुझे ही खुदा जानता है
अब खुदा से हम क्या छुपाये...
प्यार तो नहीं , प्यार तो नहीं|| २

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1 comment:

  1. प्यार एक मृगतृष्णा की तरह है , भूल भुलैय्या से होकर गुज़रना पड़ता है । मेरे विचार से प्यार मात्र एक अनुभूति होती है , जो चिर स्थायी नहीं होती । लेकिन जब तक उसका एहसास होता है , तब तक बहुत सुखद होता है । मैंने अनुभव किया है ।

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