मैंने ये ग़ज़ल सालो पहले लिखी थी , कभी यहाँ डालने का वक़्त नहीं मिला ...
जिसे याद करके रोये
वो हसे हमे भुला के
दिल ऐसा मेरा तोडा
छोड़ा, हमे रुला के ||
अच्छा था तेरा आना
मेरी ज़िन्दगी में माना
पूछो ना मुझसे कैसे
तडपाया तेरा जाना ||
एक बार तो मिला दे
फ़रियाद कर के रोये
सोया गया ना मुझसे
सारी रात भर के रोये || जिसे याद कर के रोये .....
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Wednesday, October 20, 2010
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किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
... बहुत सुन्दर !!!
ReplyDeletetruly brilliant..
ReplyDeletekeep writing............all the best
RAHUL JI AB TAK KAHAN CHUPA RAKHI THI GAJAL
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