कुछ सीलन सी है
मेरे घर के दीवारों में
बारिस की कुछ बुँदे
मेरे घर रहने आ गयी है
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लगता है इनका मन
ज़मी पे लगता नहीं
की हरयाली शायद
ज़मी को छोड़ के
आजकल इमारतो के
छज्जो में समां गयी है
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ठंडी हवाए बहती नहीं रास्तो पे
पंख खोलने को जगह नहीं है
मकानों के अन्दर ही बसेरा है इनका
बंद रहना आजकल सजा नहीं है
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शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Sunday, August 29, 2010
Thursday, August 19, 2010
All is Well!!!
सब देखते हैं अंधेरे को
इस अंधेरो में रौशनी कोई क्यों देखता नहीं
हथियार खून रक्त की चर्चा हर जगह है
पाल रहें पेड़ो की माली को कोई पूछता नहीं ||
भ्रष्ट नेताओ की बात सब कोई करते हैं
रोज लड़ रहें समाजवादियो को कोई सोचता नहीं
मिल रही है हर बेकारो को जगह हर अखबारों में
अन्ना हजारे , उनिकृष्णन को कोई पूछता नहीं ||
आज भी इमानदारी कायम है
नहीं बिश्वास तो इन पक्तियों को पढने वाले दिल से पूछ लो
जो ना होती सच्चाई आज भी दिल में
तो कब के अँधेरे खा जाते हर सुबह को ||
इस अंधेरो में रौशनी कोई क्यों देखता नहीं
हथियार खून रक्त की चर्चा हर जगह है
पाल रहें पेड़ो की माली को कोई पूछता नहीं ||
भ्रष्ट नेताओ की बात सब कोई करते हैं
रोज लड़ रहें समाजवादियो को कोई सोचता नहीं
मिल रही है हर बेकारो को जगह हर अखबारों में
अन्ना हजारे , उनिकृष्णन को कोई पूछता नहीं ||
आज भी इमानदारी कायम है
नहीं बिश्वास तो इन पक्तियों को पढने वाले दिल से पूछ लो
जो ना होती सच्चाई आज भी दिल में
तो कब के अँधेरे खा जाते हर सुबह को ||
Monday, August 02, 2010
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Sukun on my voice on youtube: http://youtu.be/TZSV1CnoRkY रात की मिट्टी को उठा कर हाथ से रगड़ रहा था , की शायद उनकी तन्हाई की...
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किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...