लफ्ज कहाँ मिलते हैं
हमें कोई बता दे ज़रा
हमे भी दो चार आने के
बातें खरीदनी है ||
की अक्सर प्यार बताना
मुस्किल पड़ता है मुझको
कभी राते तो कभी बातें
कम पड़ जाती हैं ||
ये मन सोचता है कुछ कहने को
पर पेट के अंदर तितलिया उडती हैं
होटो से आती नहीं बाते बाहर
दिल की बाते दिल में ही रहती हैं||
आती है वो , आकर चली जाती हैं
हम लफ्जो को गिनते रह जाते हैं
जान नहीं पते खुद के मन को
उनके चहरे को पदते रह जाते हैं |
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Thursday, July 22, 2010
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आज़ाद
नहीं नापता मैं खुद को तेरे पैमाने से .. मेरी तासीर मेल न खायेगी इस ज़माने से ।। अपनी जेब में रख तेरे कायदे कानून .. मैं नहीं टूटने वाला ते...
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I am inclined to post this as i complete around 100 + hours of Vipassana & Anapana meditation . I have also completed 10 days of retre...
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किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
बहुत रोचक और सुन्दर अंदाज में लिखी गई रचना .....आभार
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति संवेदनशील हृदयस्पर्शी मन के भावों को बहुत गहराई से लिखा है
ReplyDeleteMaaf kijiyga kai dino bahar hone ke kaaran blog par nahi aa skaa
ReplyDelete...बेहतरीन!!!
ReplyDeleteDHANYAWAAD RAHUL BHAI BLOG PAR ANE AUR AUR MERA HOSLA BADHANE KE LIYE
ReplyDeleteUMEED HAI AGE BHI MERA HOSLA BADHAYEGE