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Thursday, July 12, 2007
Aadat
आदत ही ऐसी है , की रुक नही पाते एक मोड़ पे
खुश है हम, सारे बंधन तोड़ के
कस्तियो में ही लगती है अच्छी, ज़िन्दगी आपनी
जो रुक जाए किसी के लिए, वो मुसाफिर किस काम के
कस्तियो में ही लगती है, अच्छी ज़िन्दगी आपनी
जो रुक जाए किसी के लिए, वो मुसाफिर किस काम के
हमने तो कह दिया है अलविदा, हर मिलने वालो को
बस छोड़ा है उनके दिलो में, निशा आपने नाम के
हमने तो कह दिया है अलविदा हर मिलने वालो को
बस छोड़ा है उनके दिलो में, निशा आपने नाम के
मिटा न सकेंगे , वो यादें जो दी है
जो भूल जाए हमे, तो वो लम्हे किस काम के
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