wo khab tha,Jo dhul gaya
Wo gaath thi,Jo khul gayi
Baaris hui sab bah gaya
Har wo pal reet me mil gaya
...
Bachaya kuch bhi maine aab tak
Har Din ke saath sab bujh gaya
Din bhar chale mazilo ko hum
Raat aayi, zaha tha bahi ruk gaya
...
Koi Nisha,chora nahi
Dil ke kitaab aab bhi hai Kori
Jo bhi likha,sab dho diya
sab bhul kar, phir nayi dagar ho liya
...
Koi gila hamko nahi
Hum jaise hai waise hi sahi
Apna bana ke pate hai kya
Do pal khusi,ufff...hume parwah nahi
...
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Monday, June 26, 2006
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
मंजिलो में चलते चलते कुछ राह बदल जातें हैं शुरुआत कहाँ होती है ये ख्तम कहीं होते है .... अक्सर राहो में चलते चलते हमराह बदल जातें है एक मोड़...
-
Sukun on my voice on youtube: http://youtu.be/TZSV1CnoRkY रात की मिट्टी को उठा कर हाथ से रगड़ रहा था , की शायद उनकी तन्हाई की...
-
किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
No comments:
Post a Comment
कुछ कहिये