Subah uttha
Aur chal pada
waisi hi hai
Jaise hi thi...ye zindagi
badala nahi hai abhi
Badlega shayad nahi
Roj ek hi rasto ke musfir hai hum
Ek hi geet har waqt gaate hai hum...
Wahi gagan
wahi pawan
pahle si hai...sara zaha
Ruka nahi, kabhi bhi mai..chalta raha
naya sahar..nayi dagar
Kabhi mile ye,sochte hai hum
ye soch bhi badli nahi
wahi baate
wahi raate
pahle hi si hai sab mulakatte
Kuch bhi to ..badala nahi
Kyu kabhi dil kuch kahta nahi
na jaane kab hogi nayi subah yaha
hai intajaar ...uska abhi
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
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ure poem's better dn me...i dint imagine sm1 cud like it..
ReplyDeleteu make ur readr thing i dnt..