Sunday, April 15, 2018

Random thoughts ...

Random thoughts ...

क्यू गुमसुम सी रहती हो ,
हवाओं की तरह ,
लहराओ न कभी ।

उङ जाती हो पलक क्षपकते ही ,
साथ आओ न कभी ।।
कुछ लम्हों की दास्तान ही सही बुनने के लिए , कुछ बूनो तो सही ।
गाढ़ गाढ़ एक लकीर तो बन ही जाएगी।।

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हर दिन तराशता हूँ खुद को जिंदगी के लिए ।।
फिर भी रह जाते हैं शायद चुभने वाले किनारे ।।
बदल गयी है खुद की परछाई भी इसी जद्दोजहद में ।।
शिकायते वयां फिर भी है की हुजूर गूफतगू नहीं करते ।।

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नक़ाब