कभी देख लो एक नज़र इधर भी
की रौशनी का इंतज़ार इधर भी हैं
मुस्कुरा के कह दो बातें चार
की कोई बेक़रार इधर भी हैं ||
समय बदलता रहता हैं हरदम
पर हर चीज़ समय के साथ बदलती नहीं
परे होती हैं दुनिया के बंदिशों से कुछ चीज़े
हर चीज़ ज़माने के साथ चलती नहीं ||
वो जो तुम्हारे सीने में दफ़न हैं
और मेरे दिल में छुपा रहता हैं
वो अहसास में आग भले न हो
पर खुरचने में इसकी गर्माइश
आज भी कायम हैं
भले ही वो इफ्तकार आज हो न हो ||
की रौशनी का इंतज़ार इधर भी हैं
मुस्कुरा के कह दो बातें चार
की कोई बेक़रार इधर भी हैं ||
समय बदलता रहता हैं हरदम
पर हर चीज़ समय के साथ बदलती नहीं
परे होती हैं दुनिया के बंदिशों से कुछ चीज़े
हर चीज़ ज़माने के साथ चलती नहीं ||
वो जो तुम्हारे सीने में दफ़न हैं
और मेरे दिल में छुपा रहता हैं
वो अहसास में आग भले न हो
पर खुरचने में इसकी गर्माइश
आज भी कायम हैं
भले ही वो इफ्तकार आज हो न हो ||
गज़ब दिल पाया है आपने...अहसासों को महसूस करना...फिर शब्दों में ढालना...कमाल है...
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