Wednesday, April 22, 2015

इश्क़ क़ायम हैं


इश्क़ कल भी था 
आज भी हैं, और 
कल भी रहेगा ॥ 

भले ही, वो प्यार जो 
लिफ़ाफ़े के बंद लफ्ज़ो में पनपता था |
आज whatsapp पिंग की 
आवाज पे दस्तक देता हैं | 
पर,
आँखों के पटल में बैठा , 
वो इंतज़ार उसकी बातो का 
चिट्ठियों से पिंग तक 
आज भी कायम हैं । । 

चौराहो के खाँसते, बिज़ली के खम्भों से 
उठकर चाहें ही मुलाकातें, 
कॉफ़ी डे  की लॉन्ज पे पहुँच गयी  हो | 
पर  गुफ्तगू  आँखों की हो तो ,
भीड़  न चौराहों की परेशान करती थी तब   
न  ही शोर म्यूजिक का , थाम पाता हैं इसे ॥ 

की चाहत परे हैं , इस वक़्त के बदलते करवटों से 
न कल की  दूरिया  , न ही आज की नजदीकियां 
बुझा  पाएँगी वो आग, जो दो दिल में बसती है  
वो जलती रहेगी , साँसों की गिरहो  की  छोर तक 
और फिर, कोई और बाँध देगा एक नई  गाँठ , 
और फिर शुरू हो जाएगी, एक नयी  कहानी  । 

Love Continues …… 


2 comments:

  1. Anonymous12:10 PM

    Dil Ke armaano ko kabhi toh poora ho jane do
    Tu mujhme and mein tujhme kho jaane do
    Tera hi jikar karte karte dil ke mailon ko dho jaane do
    Baki teri jo raza hain "aae pyare" waise hi ho jaane do.....

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  2. Anonymous9:18 AM

    Rahul bahut khoob !!!....

    Dil se zyada mehfoos jagah nahin duniya mein,
    Par sabse zyada lapta log yahi se hote hain.......

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