Wednesday, September 29, 2010

आज का महाभारत

तन्हा  बिखर  सा  गया  है 
कुछ  शब्द   कहानियो  से  उतर  सा  गया  है 
दूर  चला  है  जो  रौशन   ज़हां   को  छोड़   के 
ये  मन  कुछ  उजाड़  सा  गया  है ||

ये  जो  कुरुछेत्र  सा  हर  जगह  छाया  है| 
हर  कोई  ने  खुद  को  पांडव 
और  दुसरे  को  कौरव  बताया  है|| 
लुट  रही  है  द्रौपदी की  तरह  सच  की  इज्जत |
ये  दुशाशन  क्यों  सबके  मन  पे  चढ़  आया  है|| 

क्यों  सब  राम  नंगे   पैरो  ,
बेबस  जंगलो  में  घूम  रहें  हैं |
पवनपुत्र   का  भेष   बदल  के 
हर  रावण  उनका  रक्त  चूस  रहें  हैं ||

कलयुग  में  रचे  गए  ग्रंथो  में |
कौरव  का  ही  बोलबाला  है|| 
हर  रचे  गए  महाभारत  में  यहाँ अब|  
अधर्म  ही  जीतने  वाला  है ||


Friday, September 17, 2010

Some Wish Cards I Made Using MS-Paint

Drop of Life
Frd's Forever
Cup of Life
Devils Mind
Reflection of a City
Success Wishes

Friday, September 03, 2010

Assorted Love Words!!!

एक तस्वीर तुम्हारी
आँखों में लगा रखी है मैंने
तेरे चेहरे को ही
अपनी दुनिया बना रखी है मैंने ||
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तेरे चेहरे को ही अपनी
दुनिया बना रखी है मैंने
कभी आओ तो जानोगी
की ये दुनिया कैसे सजा रखी है मैंने
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कभी आओ तो जानोगी 
की ये दुनिया कैसे सजा रखी है मैंने 
एक तिनका सा मोहब्बत का , सहारा ले के
अपनी सासों को बचा रखी है मैंने
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एक तिनका सा मोहब्बत का , सहारा ले के
अपनी सासों को बचा रखी है मैंने 
देख पाएंगे तुम्हे एक बार ही सही 
चन सासों को छुपा रखी है मैंने 
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नक़ाब