Ye zo zindagi hai
Kabhi Thakti kyu nahi
Kabhi to chalti hai itni tez
Kabhi sarkti bhi nahi.
............
Kal aur aaj ke bich
Itne fasle bana leti hai ye
ek khawab tut te hai to
Kai auur khawab saja leti hai ye.
..
Har chehre ka nakab chipa rakhti hai ye
Phir har chere me zindagi dikti kyu nahi
Mil jaate hai hazaar chize bazaar me
Par do pal ki khusiya bikti kyu nahi.
..
Sawaal itne hai iske pass
par jawab zindagi kyu likhti bhi nahi
Uljhaye rakhi hai sabko appne jaal me
Auur khud kabhi jaal me bichti kyu nahi.
....
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Wednesday, September 28, 2005
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