आखरी ज़ख्म जब तक , दिल पे रहेंगे
हम तुम्हे तब तक , याद करते रहेंगे
भुला ना पाएंगे आखरी दम तक
और हर निशा को , दिल में जिंदा रखेंगे
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रहेंगे अकेले या भीड़ में
तेरी तन्हाइयो को , महसूस करते रहेंगे
ज़िन्दगी अकेली तो होगी तेरे बिन
फिर भी मौत से , हमेशा लड़ते रहेंगे
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आबाद रहेंगे तेरे सपनो से , बाग़ दिल के
चाहे काटे ही इसमें , क्यों ना खिलेंगे
तेरी उम्मीद हमेशा रहेगी मुझको
भले ही आप हमसे कभी ना मिलेंगे
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हर लम्हा उन् राहों में लौटेंगे जरुर
मिले ना मिले तेरे कदमो के निशा
लड़ते रहेंगे वक़्त से , कोई साथ हो ना हो
हर घडी देते रहेंगे , प्यार के इम्तिहा
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शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Friday, January 07, 2005
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आज़ाद
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