अक्स होते अगर तेरे आँखों के हम
तो तेरे गालो को छु कर ,हलके से गुजर जाते
चन लम्हों की होती ज़िन्दगी , गम नहीं
कम से कम तेरे होटो को तो छु जाते
.........................
हर लम्हों को छुपा लेते ऐसे
तेरी यादो को सीने से लगा लेते ऐसे
मिल जाता हो किनारा ,लहरों से जीत कर
तेरी तस्वीर को दिल में बसा लेते ऐसे
.................................
होते जो हवाए पुर्वयियो की
तो तेरी घनी जुल्फों में , झूल जाते
इस तरह महका जाते , रास्तो को तेरे खुशबू से
की लोग अपनी मंजिल का पता भी भूल जाते
.....................................
अगर होते रौशनी की पहली किरण
तो पलकों की चादरों पे ,हर रोज दस्तक देने आते
उलझे तेरे बालो के बीच से ,हौले से अपना रास्ता बनाते
और झुकी झुकी तेरी आँखों को , रौशनी से नहा जाते
........................
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Thursday, January 20, 2005
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
कभी देख लो एक नज़र इधर भी की रौशनी का इंतज़ार इधर भी हैं मुस्कुरा के कह दो बातें चार की कोई बेक़रार इधर भी हैं || समय बदलता रहता हैं हर...
-
कभी मैं जो रास्ता बनु तुम मेरी मंजिल, बन जाना कभी मैं तुममे और तुम मुझमे इस तरह सिमट जाना कभी || की जब बनु मैं सोच तुम अहसास बन जाना ...
No comments:
Post a Comment
कुछ कहिये