इश्क़ कल भी था
आज भी हैं, और
कल भी रहेगा ॥
भले ही, वो प्यार जो
लिफ़ाफ़े के बंद लफ्ज़ो में पनपता था |
आज whatsapp पिंग की
आवाज पे दस्तक देता हैं |
पर,
आँखों के पटल में बैठा ,
वो इंतज़ार उसकी बातो का
चिट्ठियों से पिंग तक
आज भी कायम हैं । ।
चौराहो के खाँसते, बिज़ली के खम्भों से
उठकर चाहें ही मुलाकातें,
कॉफ़ी डे की लॉन्ज पे पहुँच गयी हो |
पर गुफ्तगू आँखों की हो तो ,
भीड़ न चौराहों की परेशान करती थी तब
न ही शोर म्यूजिक का , थाम पाता हैं इसे ॥
की चाहत परे हैं , इस वक़्त के बदलते करवटों से
न कल की दूरिया , न ही आज की नजदीकियां
बुझा पाएँगी वो आग, जो दो दिल में बसती है
वो जलती रहेगी , साँसों की गिरहो की छोर तक
और फिर, कोई और बाँध देगा एक नई गाँठ ,
और फिर शुरू हो जाएगी, एक नयी कहानी ।
Love Continues ……