ढूंढा जहाँ पे वहाँ मिला
कभी मुझमे , कभी उसमे मिला
खुद को ढूंढता रहता था खुद में
पता नहीं क्यूँ , जहाँ खोजा, ख़ुदा मिला ||
कभी मुझमे , कभी उसमे मिला
खुद को ढूंढता रहता था खुद में
पता नहीं क्यूँ , जहाँ खोजा, ख़ुदा मिला ||
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||