उन्हें जन्नत दी है तोफे में
हमे तो दोजख में भी ठिकाना ना मिला
हर दुआ और दवा उनको मिली
हमे तो दर्द बताने का भी , बहाना ना मिला ||
की परदे में हम हैं
या उन्होंने चेहरा छुपा लिया
नज़रो से मिलती नज़र नहीं आज कल , तो
हमे भुलाने का बहाना बना लिया ||
बिछी हर बिसात उनके लिए
हमे तो जंगे जहद से ही निकाल डाला
हर फतह में नामो –शोहरत मिली उनको
हमरे खून को तो उन्होंने , पानी बना डाला ||
इस अंधेर नगरी में
अंधो का बोलबाला है
शोर माचाने बाले जिंदा रहते है यहाँ
आँख वालो का मुह काला है ||