शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Sunday, February 13, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
-
मंजिलो में चलते चलते कुछ राह बदल जातें हैं शुरुआत कहाँ होती है ये ख्तम कहीं होते है .... अक्सर राहो में चलते चलते हमराह बदल जातें है एक मोड़...
-
किसी के इश्क की इम्तिहा न ले कोई किसी के सब्र की इंतिहा न हो जाए प्यार मर न जाए प्यासा यु ही और आंशुओ के सैलाब में ज़िन्दगी न बह जाये … ...
-
ये गाँधी की टोपी तो मेरे बाप की जागीर है | कौन हो तुम , जो इसे पहन कर मेरे दरवाजे पे चिल्ला रहे हो क्या सोच कर मेरे साम्राज्य की नीब ...
सुन्दर पंक्तियाँ ..
ReplyDeleteचित्र संयोजन और बढ़िया |
Beautiful as always.
ReplyDeleteIt is pleasure reading your poems.