एक रात रूमानी हो जाये
हर बात सुहानी हो जाये
मिला दो शाम को एक शायर से
की ये शाम दीवानी हो जाए
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रोको ना हाथ प्यालो के
की ये रात बेमानी हो जाये
चढ़ने दो नशा इरादों पे
एक और कहानी हो जाए
....
हम होश गबाये बैठे हैं
ना होश मुझे अब आने दो
बेचैन हो रही धड़कन है
होटो को और पिलाने दो
....
मिल जाए दिल से दिल ए साकी
तो ये रुत रूहानी हो जाए
वक़्त नहीं है हुजुर किताबो का
अब कुछ बात जुबानी हो जाये
...
शब्दों की गहराई अचूक है !! जब साथ हो जाती है तो नयी दुनिया बना लेती है !! मैं इन्ही शब्दों का शब्दकार हु , शब्दों से खेलना मेरी आदत , शब्दों में जीना मेरी हसरत !! जुडये मेरे साथ , कुछ सुनिए कुछ सुनाइए , एक दुसरे का हौसला बढाइये||
Thursday, March 23, 2006
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कभी मैं जो रास्ता बनु तुम मेरी मंजिल, बन जाना कभी मैं तुममे और तुम मुझमे इस तरह सिमट जाना कभी || की जब बनु मैं सोच तुम अहसास बन जाना ...